द्वादशारं नयचक्रम् : आचार्य श्रीसिंहसूरिगणिवादिक्षमाश्रमणविरचितया न्यायागमानुसारिण्या वृत्त्या समलंकृतम्
Author(s)
Bibliographic Information
द्वादशारं नयचक्रम् : आचार्य श्रीसिंहसूरिगणिवादिक्षमाश्रमणविरचितया न्यायागमानुसारिण्या वृत्त्या समलंकृतम्
(श्री आत्मानंदजैनग्रन्थरत्नमाला, रत्नम् 92,
श्रीजैन-आत्मानंदसभा, 1966-1988
1. आवृत्तिः
- 1. विभागः
- 2. विभागः
- 3. विभागः
- Other Title
-
Dvādaśāraṃ nayacakraṃ of Ācārya Śrī Mallavādi Kṣamāśramaṇa : with the commentary Nyāyāgamānusāriṇī of Śrī Siṃhasūri Gaṇi Vādi Kṣamāśramaṇa
द्वादशारं नय चक्रम् : आचार्य श्री सिंहसूरि गणि वादि क्षमाश्रमण विरचितया न्याय आगम अनुसारिण्या वृत्त्या समलंकृतम्
श्रीमत्सिंहसूरिगणिवादिक्षमाश्रमणसन्दृब्धया न्यायागमानुसारिण्या नयचक्रवालवृत्त्या समलङ्कृतं द्वादशारं नयचक्रम् : टीकान्तर्गतप्रतीकाद्यनुसारेण सङ्कल्पितम्
श्रीमत् सिंहसूरिगणि वादि क्षमाश्रमण सन्दृब्धया न्याय आगम अनुसारिण्या नय चक्र वाल वृत्त्या समलङ्कृतम् द्वादशारम् नय चक्रम् : टीका अन्तर्गत प्रतीक आदि अनुसारेण सङ्कल्पितम्
न्यायागमानुसारिणी नयचक्रवालवृत्तिः
न्याय आगम अनुसारिणी नय चक्र वाल वृत्तिः
Nayacakra
Nayacakravālavr̥tti
Dvādaśāranayacakra
द्वादशारं नयचक्रम् : आचार्यश्री सिंहसूरिगणिवादिक्षमाश्रमणविरचितया न्यायागमातुसारिण्या [i.e. न्यायागमानुसारिण्या] वृत्त्या समलंकृतम्
Dvādaśāram nayacakram of Ācārya Śrī Mallavādi Kṣamāśramaṇa : with the commentry [sic] Nyāyāgamānusāriṇī of Śrī Siṃhasūri Gaṇi Vādikṣamāśramaṇa
- Title Transcription
-
द्वादशारं नय चक्रम् : आचार्य श्री सिंहसूरि गणि वादि क्षमाश्रमण विरचितया न्याय आगम अनुसारिण्या वृत्त्या समलंकृतम्
Dvādaśāraṃ nayacakraṃ : Ācārya Śrīsiṃhasūrigaṇivādikṣamāśramaṇaviracitayā Nyāyāgamānusāriṇyā vr̥ttyā samalaṅkr̥tam
Available at 20 libraries
-
pt. 1. 1-4 Aras129.7:D99:-10010143873,
pt. 2129.7:D99:-20010143881, pt. 3. 9-12 Aras129.7:D99:-30010143899 -
1. विभागः129.751/MA/10000013005,
2. विभागः129.751/MA/20000065396, 3. विभागः129.751/MA/30000072053 -
pt. 1. 1-4 ArasD294.4:9-1862729506,
pt. 2. 5-8 ArasD294.4:9-2862123692 -
pt. 1. 1-4 Aras168-Ma39-110089311701,
pt. 2168-Ma39-210089311703, pt. 3. 9-12 Aras168-Ma39-310089311702 -
Tokyo University of Foreign Studies Library
1. विभागःI6/129/587278/10000587278,
2. विभागःI6/129/587278/20000587279, 3. विभागःI6/129/587278/30000587280 -
Faculty of Letters Library, University of Tokyo印哲
1. विभागःIV:42454815052685,
2. विभागःIV:42464815052693, 3. विभागःIV:43344815151818
Search this Book/Journal
Note
Other title from 3. विभागः
In Sanskrit; prefatory matter in English, Gujarati, and Sanskrit
Added t.p. in English
"Edited with critical notes by Muni Jambūvijayajī"--Added t.p
Summary: Treatise, with 7th century commentary, on the metaphysics of partial manifestation (naya), according to the Śvetāmbara Jainism
Includes index
Contents: 1. विभागः. 1-4. अराः = 1-4 Aras -- 2. विभागः. 5-8. अराः = 5-8 Aras -- 3. विभागः. 9-12. अराः = 9-12 Aras
PUB: Bhavnagar : Sri Jain Atmanand Sabha