न्यायावतारवार्तिक-वृत्ति (न्यायावतारसूत्र-तद्वार्तिक-तदीयवृत्ति-समवेत-विस्तृतहिन्दीटिप्पण-अनेक परिशिष्ट-सुविस्तृत प्रस्तावना आदि बहुविषय समलंकृत)
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न्यायावतारवार्तिक-वृत्ति (न्यायावतारसूत्र-तद्वार्तिक-तदीयवृत्ति-समवेत-विस्तृतहिन्दीटिप्पण-अनेक परिशिष्ट-सुविस्तृत प्रस्तावना आदि बहुविषय समलंकृत)
(सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक 20)
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्य भवन, 1949
- タイトル別名
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Nyāyāvatāravārtika-vṛtti of Śrī Śānti Sūri
- タイトル読み
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न्याय अवतार वार्तिक वृत्ति न्याय अवतार सूत्र तद्वार्तिक तदीय वृत्ति समवेत विस्तृत हिन्दी टिप्पण अनेक परिशिष्ट सुविस्तृत प्रस्तावना आदि बहुविषय समलंकृत
Nyāyāvatāravārtika-vr̥tti (Nyāyāvatārasūtra-tadvārtika-tadīyavr̥tti-samaveta-vistr̥tahindīṭippaṇa-aneka pariśiṣṭa-suvistr̥ta prastāvanā ādi bahuviṣaya samalaṅkr̥ta)
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注記
In Sanskrit; notes and prefatory matter in Hindi
English title on added title: Nyāyāvatāravārtika-vṛtti of Śrī Śānti Sūri
Summary: Verse and prose commentaries, with text, on Nyāyāvatārasūtra, verse treatise on Jain logic, by Siddhasena Divākara
Includes bibliographical references