जिनके मकान ढ़हते [i.e. ढहते] हैं
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जिनके मकान ढ़हते [i.e. ढहते] हैं
इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन, 1979
1. संस्करण
- タイトル別名
-
Jinke makan dhehte hain
Jinke makan rhahte hain
Jinke makān ṛhahte [i.e. ḍhahte] haiṃ
Svīkārānt
Nirmam
Bardāśt bāhar
Ek--binā rīṛh kā
Svīkār
Āī em Liyo
Unnatiśīl
आई एम लिओ
- タイトル読み
-
Jinake makāna ṛhahate [i.e. ḍhahate] haiṃ
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注記
Short stories
In Hindi
"Jinke makan dhehte hain"--T.p. verso
PUB: Dillī : Indraprastha Prakāśana
収録内容
- स्वीकारान्त / सुदर्शन चोपड़ा
- निर्मम / सुधा अरोड़ा
- बर्दाश्त बाहर / अचला शर्मा
- एक--बिना रीढ़ का / सुकीर्ति गुप्ता
- स्वीकार / सुमति अय्यर
- आई एम लियो / पृथ्वीराज मोंगा
- उन्नतिशील / सुरेन्द्र अरोड़ा
- जिनके मकान ढहते हैं / रमेश बक्षी