अकलङ्कग्रन्थत्रयम् : स्वोपज्ञविवृतिसहितं लघीयस्त्रयम्, न्यायविनिश्चयः, प्रमाणसंग्रहश्च : न्यायाचार्य पं॰ महेन्द्रकुमारशास्त्रिनिर्मितटिप्पणादिसहितम्

Bibliographic Information

अकलङ्कग्रन्थत्रयम् : स्वोपज्ञविवृतिसहितं लघीयस्त्रयम्, न्यायविनिश्चयः, प्रमाणसंग्रहश्च : न्यायाचार्य पं॰ महेन्द्रकुमारशास्त्रिनिर्मितटिप्पणादिसहितम्

अकलङ्कदेवविरचितम् ; सम्पादक, महेन्द्रकुमारशास्त्री

(सरस्वती प्राच्य ग्रन्थमाला, 4)

सरस्वती पुस्तक भंडार, 1996

पुनर्मुद्रण

Other Title

Akalaṅkagranthatrayam : svopajñavivṛti-sahitam Laghīyastrayam, Nyāyaviniścayaḥ and Pramāṇasaṅgrahaḥ of Srī Bhattākalaṅkadeva

अकलङ्कग्रन्थत्रयम्

अकलङ्क ग्रन्थ त्रयम्

अकलङ्क ग्रन्थत्रयम् : स्वोपज्ञ विवृति सहितम् लघीयस् त्रयम्, न्याय विनिश्चयः, प्रमाणसंग्रहः च : न्यायाचार्य पं॰ महेन्द्रकुमारशास्त्रि निर्मित टिप्पण आदि सहितम्

न्यायविनिश्चयः : न्यायविनिश्चयविवरणादुद्धृतः

न्याय विनिश्चयः : न्यायविनिश्चय विवरणात् उद्धृतः

Akalaṅkagranthatraya

Laghīyastraya

Pramāṇasaṅgraha

Saraswati Oriental Series

Title Transcription

अकलङ्क ग्रन्थत्रयम् : स्वोपज्ञ विवृति सहितम् लघीयस् त्रयम्, न्याय विनिश्चयः, प्रमाणसंग्रहः च : न्यायाचार्य पं॰ महेन्द्रकुमारशास्त्रि निर्मित टिप्पण आदि सहितम्

Akalaṅkagranthatrayam : svopajñavivr̥tisahitaṃ Laghīyastrayam, Nyāyaviniścayaḥ, Pramāṇasaṅgrahaśca : Nyāyācārya Paṃ. Mahendrakumāraśāstrinirmitaṭippaṇādisahitam

Search this Book/Journal
Note

In Sanskrit; prefatory matter in Hindi

Added t.p. in English

"Edited with critical notes, variant readings, introduction and indexes etc. by Nyayacharya Pandit Mahendra Kumar Shastri"--Added t.p

Ser. no. on English t.p.: no. 8

Reprint. First ed. published: अहमदाबाद : संचालक-सिंघी जैन ग्रन्थमाला, 1939

Summary: Three classical works, with auto-commentaries and notes on Jaina philosophy

Includes bibliographical references and indexes

Related Books: 1-1 of 1
Details
Page Top