कसायपाहुडं : श्रीयतिवृषभाचार्यविरचितचूर्णिसूत्रसमन्वितम् : तयोश्च वीरसेनाचार्यविरचिता जयधवलाटीका
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कसायपाहुडं : श्रीयतिवृषभाचार्यविरचितचूर्णिसूत्रसमन्वितम् : तयोश्च वीरसेनाचार्यविरचिता जयधवलाटीका
(भा० दि० जैनसंघग्रन्थमाला, 1. पुष्पम्)
भा० दि० जैन संघ, 1955-
- भाग 1
- भाग 2
- भाग 3
- भाग 4
- भाग 5
- भाग 6
- भाग 7
- भाग 8
- भाग 9
- भाग 10
- भाग 11
- भाग 12
- भाग 13
- भाग 14
- भाग 15
- भाग 16
- Other Title
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Kasāya-pāhudam by Gunabhadrāchārya : with Churni sutra of Yativrashabhāchārya : and the Jayadhavalā commentary of Vīrasenāchārya there-upon
कसाय पाहुडम् : श्री यतिवृषभ आचार्य विरचित चूर्णिसूत्र समन्वितम् : तयोः च वीरसेन आचार्य विरचिता जयधवला टीका
कसायपाहुडं : सिरि-जैवसहाइरियविरइय-चुण्णिसुत्तसमण्णिदं : सिरि-वीरसेणाइरियविरइया टीका जयधवला
कसाय पाहुडम् : सिरि जैवसहाइरिय विरइय चुण्णिसुत्त समण्णिदम् : सिरि वीरसेणाइरिय विरइया टीका जयधवला
Kasāyapāhuḍa
- Title Transcription
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कसाय पाहुडम् : श्री यतिवृषभ आचार्य विरचित चूर्णिसूत्र समन्वितम् : तयोः च वीरसेन आचार्य विरचिता जयधवला टीका
Kasāyapāhuḍaṃ : Śrīyativr̥ṣabhācāryaviracitacūrṇisūtrasamanvitam : tayośca Vīrasenācāryaviracitā Jayadhavalāṭīkā
Available at / 6 libraries
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General Library,University of Tokyo
भाग 14-01 XcX:168 c:gun 10014747273,
भाग 24-01 XcX:168 c:gun 20014705594, भाग 34-01 XcX:168 c:gun 30014705602, भाग 44-01 XcX:168 c:gun 40014726699, भाग 54-01 XcX:168 c:gun 50014705610, भाग 64-01 XcX:168 c:gun 60014705628, भाग 74-01 XcX:168 c:gun 70014705636, भाग 84-01 XcX:168 c:gun 80014705644, भाग 94-01 XcX:168 c:gun 90014705651, भाग 104-01 XcX:168 c:gun 100014726707, भाग 114-01 XcX:168 c:gun 110014705669, भाग 124-01 XcX:168 c:gun 120014705677, भाग 134-01 XcX:168 c:gun 130014705685, भाग 144-01 XcX:168 c:gun 140014705693, भाग 154-01 XcX:168 c:gun 150014705701, भाग 164-01 XcX:168 c:gun 160014705719 -
Faculty of Letters Library, University of Tokyo印文
भाग 43号館J:109364800293518,
भाग 53号館J:109374800293526, भाग 63号館J:109384800293534, भाग 73号館J:109394800293542, भाग 83号館J:109404800293559, भाग 93号館J:109414800293567, भाग 103号館J:109424800293575, भाग 113号館J:109434800293583, भाग 123号館J:109444800293591 -
Doshisha University Library (Imadegawa)
Bhāg. 1168||G9630||1046500064,
Bhāg. 2168||G9630||2046500061, Bhāg. 3168||G9630||3046500063, Bhāg. 4168||G9630||4046500059, Bhāg. 5168||G9630||5046500062, Bhāg. 6168||G9630||6046500066, Bhāg. 7168||G9630||7046500067, Bhāg. 8168||G9630||8046500068, Bhāg. 9168||G9630||9046500069, Bhāg. 10168||G9630||10046500070, Bhāg. 11168||G9630||11046500091, Bhāg. 12168||G9630||12046500071, Bhāg. 13168||G9630||13046500072, Bhāg. 14168||G9630||14046500065, Bhāg. 15168||G9630||15046500060, Bhāg. 16168||G9630||16046500090 -
भाग 2Ji||G||2440324191,
भाग 3Ji||G||640324192, भाग 4Ji||G||1340324193, भाग 5Ji||G||1440324194, भाग 6Ji||G||240324196, भाग 8Ji||G||2340324197, भाग 9Ji||G||3340324198 -
Bhāg. 1343261,
भाग 4343252, भाग 5343260, भाग 6343255, भाग 7343256, भाग 8343251, भाग 9343258, भाग 10343254, भाग 11343257, भाग 12343253, Bhāg. 13343259 -
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Note
Description based on भाग 2
Prakrit text with translation into Hindi; introductory matter in Hindi
Added t.p. in English
PUB: Mathura : The All-India Digambar Jain Sangha
Summary: Jaina canonical text
Includes indexes
Contents: भाग 1. पेज्जदोसविहत्ती -- भाग 2. पयडिविहत्ती -- भाग 3. ट्ठिदिविहत्ती -- भाग 4. तृतीयो ऽधिकारः ट्ठिदिविहत्ती = Thidi vihatti -- भाग 5. पञ्चमो ऽधिकारः अणुभागविहत्ती = Anubhag vihatti -- भाग 6. पञ्चमो ऽधिकारः प्रदेशविभक्तिः (पदेसविहत्ती) = Pradeshavibhakti -- भाग 7. पञ्चमो ऽधिकारः प्रदेशविभक्तिः 2 (पदेसविहत्ती 2) = Pradeshavibhakti -- भाग 8. षष्ठो ऽधिकारः बन्धकः 1 (बंधगो 1) = Bandhak
Contents: भाग 9. षष्ठो ऽधिकारः बन्धकः 2 = Bandhak -- भाग 10. सप्तमो ऽधिकारः वेदकअनुयोगद्वारम् (वेदगो) = Vedak -- भाग 11. सप्तमो ऽधिकारः वेदकअनुयोगद्वारम् (वेदगो 7) = Vedak -- भाग 12. सप्तमो ऽधिकारः उपयोगानुयोगद्वारम्, अष्टमो ऽधिकारः चतुःस्थानानुयोगद्वारम्, नवमो ऽधिकारः व्यञ्जनानुयोगद्वारम्, दशमो ऽधिकारः दर्शनमोहोपशामनानुयोगद्वारम् (उवयोगो 8, चौट्ठाणं 9, वंजणं 10, दंसणमोहोवसामण्णा 11) = Upayoc [sic] etc. -- भाग 13. दर्शनमोहक्षपणानुयोगद्वारम्, संयमासंयम लद्ध्यनुयोगद्वारम्, संयमलब्ध्यनुयोगद्वारम्, चारित्रमोहोपशामनानुयोगद्वारम् [sic] -- भाग 14. चारित्रमोहोपशमनानुयोगद्वारम्, चारित्रमोहक्षपणानुयोगद्वारम् -- भाग 15. चारित्रमोहक्षपणानुयोगद्वारम् -- भाग 16. चारित्रमोहक्षपणानुयोगद्वारम्