सूर्यप्रज्ञप्ति-चन्द्रप्रज्ञप्ति : श्रुतस्थविरप्रणीत-उपाङ्गसूत्रद्वय : मूलपाठ, प्रस्तावना तथा परिशिष्ट युक्त
Author(s)
Bibliographic Information
सूर्यप्रज्ञप्ति-चन्द्रप्रज्ञप्ति : श्रुतस्थविरप्रणीत-उपाङ्गसूत्रद्वय : मूलपाठ, प्रस्तावना तथा परिशिष्ट युक्त
(जिनागम ग्रन्थमाला, ग्रन्थाङ्क 29)
श्री आगम प्रकाशन समिति, 1995
2. संस्करण
- Other Title
-
Sūryaprajnapti-Chandraprajnapti : original text, introduction and appendices
सूर्यप्रज्ञप्ति चन्द्रप्रज्ञप्ति : श्रुतस्थविर प्रणीत उपाङ्ग सूत्र द्वय : मूल पाठ, प्रस्तावना तथा परिशिष्ट युक्त
सूरियपण्णत्तिसुत्तं
सूरियपण्णत्ति सुत्तम्
चंदपण्णत्तिसुत्तं
चंदपण्णत्ति सुत्तम्
सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र
चन्दप्रज्ञप्तिसूत्र
Sūriyapaṇṇattisutta
Candapaṇṇatisutta
- Title Transcription
-
सूर्यप्रज्ञप्ति चन्द्रप्रज्ञप्ति : श्रुतस्थविर प्रणीत उपाङ्ग सूत्र द्वय : मूल पाठ, प्रस्तावना तथा परिशिष्ट युक्त
Sūryaprajñapti-Candraprajñapti : Śrutasthavirapraṇīta-Upāṅgasūtradvaya ; mūlapāṭha, prastāvanā, tathā pariśishṭa yukta
- Uniform Title
-
Jaina Āgama. Upāṅga. Sūryaprajñapti
Available at / 1 libraries
-
No Libraries matched.
- Remove all filters.
Search this Book/Journal
Note
In Prakrit; prefatory matter and footnotes in Hindi
Added t.p. in English
"Convener & founded editor, Mishrimalji Maharaj "Madhukar" ; editor, Muni Kanhaiyalaji "Kamal" ; chief editor, Shobhachandra Bharilla"--Added t.p
At head of title: परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्रीजोरावरमलजी महाराज की पुण्य-स्मृति में आयोजित
PUB: Beawar (Raj.) : Shri Agam Parkashan Samiti
Summary: Jaina canonical text on astronomy