श्रीमेरुतुङ्गाचार्यविरचित प्रबन्धचिन्तामणि : विविधपाठान्तरयुक्त मूलग्रन्थ; तत्सम्बद्ध अनेक पुरातनप्रबन्ध; शिलालेख, ताम्रपत्र, ग्रन्थप्रशस्ति, तथा ग्रन्थान्तरस्थ विविधप्रमाण; हिन्दीभाषान्तर; तत्कालीन ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजकीय, सामाजिक, धार्मिक आदि परिस्थिति विवेचक विस्तृत प्रस्तावना-इत्यादि बहुविधविषयसमन्वित
Author(s)
Bibliographic Information
श्रीमेरुतुङ्गाचार्यविरचित प्रबन्धचिन्तामणि : विविधपाठान्तरयुक्त मूलग्रन्थ; तत्सम्बद्ध अनेक पुरातनप्रबन्ध; शिलालेख, ताम्रपत्र, ग्रन्थप्रशस्ति, तथा ग्रन्थान्तरस्थ विविधप्रमाण; हिन्दीभाषान्तर; तत्कालीन ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजकीय, सामाजिक, धार्मिक आदि परिस्थिति विवेचक विस्तृत प्रस्तावना-इत्यादि बहुविधविषयसमन्वित
(सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक 1)
सिंघी जैन ज्ञानपीठ, 1933
1. आवृत्ति
- 1. भाग
- Other Title
-
Prabandha cintāmaṇi of Merutuṅgācārya
श्री मेरुतुङ्ग आचार्य विरचित प्रबन्ध चिन्तामणि : विविध पाठ अन्तर युक्त मूल ग्रन्थ; तत्सम्बद्ध अनेक पुरातन प्रबन्ध; शिलालेख, ताम्रपत्र, ग्रन्थ प्रशस्ति, तथा ग्रन्थ अन्तरस्थ विविध प्रमाण; हिन्दी भाषा अन्तर; तत्कालीन ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजकीय, सामाजिक, धार्मिक आदि परिस्थिति विवेचक विस्तृत प्रस्तावना-इति आदि बहुविध विषय समन्वित
- Title Transcription
-
श्री मेरुतुङ्ग आचार्य विरचित प्रबन्ध चिन्तामणि : विविध पाठ अन्तर युक्त मूल ग्रन्थ; तत्सम्बद्ध अनेक पुरातन प्रबन्ध; शिलालेख, ताम्रपत्र, ग्रन्थ प्रशस्ति, तथा ग्रन्थ अन्तरस्थ विविध प्रमाण; हिन्दी भाषा अन्तर; तत्कालीन ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजकीय, सामाजिक, धार्मिक आदि परिस्थिति विवेचक विस्तृत प्रस्तावना-इति आदि बहुविध विषय समन्वित
Śrīmerutuṅgācāryaviracita Prabandhacintāmaṇi : vividhapāṭhāntarayukta mūlagrantha; tatsambaddha aneka purātanaprabandha; śilālekha, tāmrapatra, granthapraśasti, tathā granthāntarastha vividhapramāṇa; Hindībhāshāntara; tatkālīna aitihāsika, bhaugolika, rājakīya, sāmājika, dhārmika ādi paristhiti vivecaka vistr̥ta prastāvanā-ityādi bahuvidhavishayasamanvita
Available at / 3 libraries
-
No Libraries matched.
- Remove all filters.
Search this Book/Journal
Note
In Sanskrit; prefatory matter in Hindi
Added t.p. in English
"Critically edited in the original Sanskrit with variants; supplements of similar Prabandhas; corresponding epigraphical records and references in the other works; Hindi translation and notes and elaborate, critical and historical introduction etc. by Jinavijaya Muni"--Added t.p. of pt. 1
PUB: Śāntiniketan : Siṅghī Jaina Jñānapīṭha
Contents: 1. भाग. विविधपाठान्तर-परिशिष्ट-पद्यानुक्रमादियुक्त मूलग्रन्थ = Text in Sanskrit with variants, an appendix and indices of stanzas