न्यायविशारद-न्यायाचार्य-पद-प्रतिष्ठित-महामहोपाध्याय श्रीमद् यशोविजय-गणि-रचित-वृत्ति-सहितानि, श्रीभोजदेवकृतराजमार्तण्डवृत्तिसमेतानि च पातञ्जलयोगसूत्राणि

Bibliographic Information

न्यायविशारद-न्यायाचार्य-पद-प्रतिष्ठित-महामहोपाध्याय श्रीमद् यशोविजय-गणि-रचित-वृत्ति-सहितानि, श्रीभोजदेवकृतराजमार्तण्डवृत्तिसमेतानि च पातञ्जलयोगसूत्राणि

संपादकः, वैराग्यरतिविजयः

(श्री विजयमहोदयसूरिग्रंथमाला, 2)

प्रवचन प्रकाशन, c2001

Other Title

न्याय विशारद न्याय आचार्य पद प्रतिष्ठित महामह उपाध्याय श्रीमद् यशोविजय गणि रचित वृत्ति सहितानि, श्री भोजदेव कृत राज मार्तण्ड वृत्ति समेतानि च पातञ्जल योगसूत्राणि

पातञ्जलयोगसूत्राणि

पातञ्जल योगसूत्राणि

Title Transcription

न्याय विशारद न्याय आचार्य पद प्रतिष्ठित महामह उपाध्याय श्रीमद् यशोविजय गणि रचित वृत्ति सहितानि, श्री भोजदेव कृत राज मार्तण्ड वृत्ति समेतानि च पातञ्जल योगसूत्राणि

Nyāyaviśārada-Nyāyācārya-Pada-Pratiṣṭhita-Mahāmahopādhyāya Śrīmad Yaśovijaya-Gaṇi-racita-vr̥tti-sahitāni, Śrībhojadevakr̥tarājamārtaṇḍavr̥ttisametāni ca Pātañjalayogasūtrāṇi

Uniform Title

Patañjali -- Yogasūtra

Available at  / 1 libraries

Search this Book/Journal

Note

In Sanskrit; prefatory matter in Gujarati

"लाभार्थी: श्री बी. के. कोठारी रिली. ट्रस्ट, मुंबई"

Summary: Classical work on Yoga philosophy with two Sanskrit commentaries

Includes bibliographical references

PUB: Pūnā : Pravacana Prakāśana

Related Books: 1-1 of 1

Details

Page Top