विपाकश्रुत : मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेकन, परिशिष्ट युक्त

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書誌事項

विपाकश्रुत : मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेकन, परिशिष्ट युक्त

संयोजक तथा आद्य सम्पादक, युवाचार्य मिश्रीमलजी महाराज "मधुकर" ; अनुवादक, रोशनलाल जैन, सम्पादक, शोभाचन्द्र भारिल्ल

(जिनागम ग्रन्थमाला, ग्रन्थाङ्क 11)

श्री आगमप्रकाशन-समिति, 2000

3. संस्करण

タイトル別名

Vivāga-suyama : original text, Hindi version, notes annotations and appendices etc

विपाक श्रुत : मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेकन, परिशिष्ट युक्त

विपाकसूत्र : मूल-अनुवाद-विवेचन-टिप्पण-परिशिष्ट-युक्त

विपाक सूत्र : मूल अनुवाद विवेचन टिप्पण परिशिष्ट युक्त

タイトル読み

विपाक श्रुत : मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेकन, परिशिष्ट युक्त

Vipākaśruta : mūla pāṭha, Hindī anuvāda, vivecana, pariśishṭa yukta

統一タイトル

Jaina Āgama. Aṅga. Vivāgasuya

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注記

Prakrit text with translation into Hindi; introductory matter in Hindi

Added t.p. in English

"Convener & founded editor, (Late) Yuvacharya Shri Mishrimalji Maharaj "Madhukar" ; translator, Pt. Roshanlal Jain ; editor, Shobhachandra Bharill"--Added t.p

At head of title: परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्री जोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित

PUB: Beawar (Raj.) : Shri Agam Parkashan Samiti

Summary: Jaina canonical text

Includes bibliographical references and index

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詳細情報

  • NII書誌ID(NCID)
    BA84987797
  • 出版国コード
    ii
  • タイトル言語コード
    hin
  • 本文言語コード
    hinpra
  • 原本言語コード
    pra
  • 出版地
    ब्यावर (राजस्थान)
  • ページ数/冊数
    47, 156 p., [1] leaf of plates
  • 大きさ
    25 cm
  • 親書誌ID
  • 統一タイトルID
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