जिनवल्लभसूरि-ग्रन्थावलि : १२वीं शती के सहाकवि श्री जिनवल्लभशूरि प्रणीत ४५कृतियाँ, चित्रकाव्य, विस्तृत भूमिका सहित

書誌事項

जिनवल्लभसूरि-ग्रन्थावलि : १२वीं शती के सहाकवि श्री जिनवल्लभशूरि प्रणीत ४५कृतियाँ, चित्रकाव्य, विस्तृत भूमिका सहित

आशीर्वचनः, आगमज्ञ मुनिराज जम्बूविजियजी ; सम्पादकः, विनयसागर

(Prakrit Bharti series, 171)(मणि पुष्प, 4)

प्राकृत भारती अकादमी, 2004

タイトル読み

जिनवल्लभसूरि ग्रन्थ आवलि : १२ वीं शती के सहाकवि श्री जिनवल्लभशूरि प्रणीत ४५ कृतियाँ, चित्रकाव्य, विस्तृत भूमिका सहित

Jinavallabhasūri granthāvali : 12 vīṃ śatī ke mahākavi śrī jinavallabhasūri praṇīta 45 kr̥tiyām̐, citrakāvya, vistr̥ta bhūmikā sahita

統一タイトル

Works. 2004

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注記

Prakrit and Sanskrit; introduction in Hindi

Summary: Complete works of Jaina author

Includes indexes

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