विष्णु प्रभाकर के सम्पूर्ण नाटक
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विष्णु प्रभाकर के सम्पूर्ण नाटक
प्रभात प्रकाशन, 1988-
1. संस्करण
- v. 1
- v. 2
- v. 3
- v. 4
- v. 5
- v. 6
- Other Title
-
Vishnu Prabhakar ke sampurna natak
विष्णु प्रभाकर के नाटक
Vishṇu Prabhākar ke sampūrṇ nāṭak
Vishṇu Prabhākar ke nāṭak
Tīsrā ādmī
Cirantan khoj
Ramoīghar meṃ prajātantra
Maiṃ bhī mānav hūm̐
Pān̐c rekhāem̐ : ek bindu
Sām̐p aur sīṛhī : dhvani-nāṭak
Samrekhā-vishamrekhā
Vaishṇav jan : dhvani-rūpak
Samājvādī bano
Sān̐kleṃ
Rakt-candan
Krānti kā śaṅkhnād : dhvani rūpak
- Title Transcription
-
Vishṇu Prabhākara ke sampūrṇa nāṭaka
Available at / 2 libraries
-
v. 11213318173,
v. 21213318181, v. 3121331819X, v. 41213318203, v. 51213318211, v. 6121331822X -
Tokyo University of Foreign Studies Library
v. 1I2/9I2-8/V829-21/10000250137,
v. 2I2/9I2-8/V829-21/20000250138, v. 3I2/9I2-8/V829-21/30000250139, v. 4I2/9I2-8/V829-21/40000250140, v. 5I2/9I2-8/V829-21/50000250141, v. 6I2/9I2-8/V829-21/60000250142 -
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Note
Complete collection of plays of Vishnu Prabhakar
In Hindi
"Vishnu Prabhakar ke sampurna natak"--T.p. verso
PUB: Delhi : Prabhat Prakashan
Contents of Works
- Vol. 1. तीसरा आदमी
- अभया
- चिरंतन खोज
- रसोईघर में प्रजातंत्र
- धुआँ
- मैं भी मानव हूँ
- पाँच रेखाएँ : एक बिन्दु
- नियति
- साँप और सीढ़ी : ध्वनि-नाटक
- समरेखा-विषमरेखा
- वैष्णव जन : ध्वनि-रूपक
- सवेरा
- समाजवादी बनो
- साँकलें
- पूर्णाहुति
- मीना कहाँ है?
- रक्त-चन्दन
- क्रान्ति का शंखनाद : ध्वनि रूपक
- माँ
- सब में एक प्राण
- कापुरुष
- माता-पिता
- सीमा रेखा
- समन्दर
- Vol. 2. कितना गहरा कितना सतही
- टूटते परिवेश
- शरीर का मोल
- दृष्टि की खोज
- नहीं, नहीं, नहीं
- वापसी
- डरे हुए लोग
- उपचेतना का छल
- बा और बापू
- सुनन्दा
- सड़क
- कांग्रेसमैन बनो
- कूपे
- मर्यादा की सीमा
- लिपस्टिक की मुस्कान
- भोगा हुआ यथार्थ
- श्यूआन चुआङ
- ऊँचा पर्वत : गहरा सागर
- आँचल और आँसू
- प्रकाश और परछाईं
- दूर और पास
- स्वर्ग और संसार
- संस्कार और भावना
- कमल और कैक्टस
- दस बजे रात
- मानव
- पंखुड़ी और फौलाद
- Vol. 3. अर्द्धनारीश्वर
- भरत वन गमन : रामचरित मानस पर आधारित नाटक
- कुम्हार की बेटी
- दरिन्दा
- जज का फैसला
- मर्सीडीज और ढोलक
- झाँसी की रानी
- धनिया
- मुरव्बी
- युगे-युगे क्रान्ति
- सूली पर टँगा श्वेत कमल
- रात, चाँद और कुहर
- बीमार
- ये रेखाएँ ये दायरे
- देवताओं की घाटी
- हरिलक्ष्मी
- नये-पुराने
- दीवान हरदौल
- दरारों के द्वीप
- मैं तुम्हें क्षमा करूँगा
- कलंक-मुक्ति
- और वह जा न सकी : रूपान्तर
- श्वेत अन्धकार : एकांकी
- नया समाज
- लाल किला : रूपक
- राखी और कंगन
- प्रतिशोध
- Vol. 4. जहाँ दया पाप है
- क्या वह दोषी था?
- ममता का विष
- प्रेम में भगवान् : ताल्स्ताय की कहानी का रूपान्तर
- हत्या के बाद
- सूरदास : मुन्शी प्रेमचन्द के उपन्यास रंगभूमि का रेडियो रूपान्तर
- वेलुतम्पी दलवा : केरल का क्रांतिकारी
- डाक्टर
- टूटते परिवेश
- अब और नहीं
- युगे-युगे क्रान्ति
- टगर
- सत्ता के आर-पार
- Vol. 5. नव-प्रभात
- गान्धार की भिक्षुणी
- केरल का क्रान्तिकारी
- बुझने से पूर्व
- देवताओं का प्यारा
- मनोवृत्ति / मूल लेखक, प्रेमचन्द ; रूपान्तर, विष्णु प्रभाकर
- युग-सन्धि
- वीर-पूजा : भावना-प्रधान एकांकी
- गांधीजी का सपना
- नेहरूजी की वसीयत
- और वह जा न सकी
- होरी
- Vol. 6. श्वेत कमल
- बन्दिनी
- कुहासा और किरण
- चन्द्रहार : प्रेमचन्द के "ग़बन" का नाट्य-रूपान्तर
- गंगा की गाथा : ऐतिहासिक और सांस्कृतिक
- यश के दावेदार
- शतरंज के मोहरे
- यही मेरा प्रश्न है
- दो किनारे
- जज का फैसला : ध्वनि-नाट्य
- अभाव
- जय पराजय
- सर्वोदय
- इतिहास और सत्य
- माता-पिता और बच्चे
- मर्यादा
- अस्पृश्यता
- मैं कहने आई हूँ--
- श्रीकृष्ण