अथ सूरसागर रत्न, अर्थात्, सूरसागर का सार, जिसे बहुत श्रम से श्री गोसाई रघुनाथ दास जी ने अछे २ चलित पद सूरसागर से चुनके इस पुस्तक में प्रज्वलित किया
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अथ सूरसागर रत्न, अर्थात्, सूरसागर का सार, जिसे बहुत श्रम से श्री गोसाई रघुनाथ दास जी ने अछे २ चलित पद सूरसागर से चुनके इस पुस्तक में प्रज्वलित किया
Printed at The Benares Light Press, 1864
- タイトル読み
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Atha Sūrasāgara ratna, arthāt, Sūrasāgara kā sāra, jise bahuta śrama se Śrī Gosāī Raghunātha Dāsa jī ne ache 2 calita pada Sūrasāgara se cunake isa pustaka meṃ prajvalita kiyā
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注記
In Braj
Compiled by Raghunātha Dāsa
Summary: A Selection of Verses from the Sūrasāgara