著者
書誌事項
सिंघी जैन ग्रन्थमाला
भारतीय विद्या भवन
- タイトル別名
-
सिंघीजैनग्रन्थमाला
Siṅghī-Jaina-granthamālā
Singhi Jain series
Singhi Jaina series
Siṅghījainagranthamālā
- タイトル読み
-
सिंघी जैन ग्रन्थ माला
Siṅghī Jaina granthamālā
この図書・雑誌をさがす
注記
At head of title: Siṅghī Jainaśāstra Śikṣāpīṭha
Publisher varies: अहमदाबाद ; कलकत्ता : सिंघी जैन ग्रन्थमाला
Publisher varies: Śāntiniketana, Baṅgāla : Siṅghī Jaina Jñānapīṭha
Publisher varies: Śāntiniketan, Baṅgāl : Siṅghī Jaina Jñānapīṭha
Bambaī : Bhāratīya Vidyā Bhavana
-
21
- पूर्वाचार्य विरचित प्रश्नव्याकरणाख्य जयपायड निमित्तशास्त्र : प्रथमावृत्ति-संस्कृतव्याख्योपेत मूल प्राकृत ग्रन्थ
-
संपादनकर्ता, जिनविजय मुनि
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1958 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 43
所蔵館4館
-
22
- Pūrvācārya viracita Praśnavyākaraṇākhya, Jayapāyaḍa nimittaśāstra : Saṃskr̥tavyākhyopeta mūla Prākr̥ta grantha
-
sampādanakartā Jinavijaya Muni / SiNṅgî Jaina grantha mālā 43
Siṅghī Jainaśāstra Śikṣāpīṭha, Bhāratīya Vidyā Bhavana 1958 सिंघी जैन ग्रन्थमाला granthāṅka 43
所蔵館1館
-
23
- खरतरगच्छबृहद्गुर्वावलि
-
जिनपालोपाधायादि-विद्वत्कर्तृक ; सङ्ग्राहक एवं संपादक, जिनविजय मुनि
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1956 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 42
所蔵館5館
-
24
- भिन्नभिन्न-विद्वत्कर्तृक परमार्हतबिरुदालङ्कृत-गूर्जरचौलुक्यचक्रवर्ति-नृपति कुमारपाल चरित्रसंग्रह
-
सङ्ग्राहक एवं संपादक, जिनविजय मुनि
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1956 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 41
所蔵館7館
-
25
- काव्यप्रकाशखण्डन : महाकविमम्मटविरचित-काव्यप्रकाशग्रन्थगर्भित-कतिपयपदार्थालोचनात्मक-विशिष्ट कृति, एकमात्रप्राप्त-पुरातनादर्शनानुसार संशोधित एवं संपादित
-
सिद्धिचन्द्रगणि-विरचित ; संपादक, रसिकलाल छोटालाल परिख
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1953 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 40
所蔵館5館
-
26
- पउमचरिउ : अपभ्रंशभाषाग्रथित पौराणिक महाकाव्य : विविध पाठभेद, विस्तृत प्रस्तावना, विशिष्ट शब्दकोष, परिशिष्टादि समन्वित
-
स्वयंभूदेव-रचित ; संपादक, हरिवल्लभ चूनीलाल भायाणी
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1953-1960 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 34-36
1. भाग , 2. भाग , 3. भाग
所蔵館8館
-
27
- Studies in Indian literary history
-
P. K. Gode
Singhi Jain Śāstra Śikshāpīth 1953-1956 सिंघी जैन ग्रन्थमाला No. 37-38. Shri Bahadur Singh Memoirs Vol. 4 & 5
v. 1 , v. 2 , v. 3
所蔵館5館
-
28
- उक्तिव्यक्तिप्रकरण : पुरातन कोशलीभाषोद्धरण सम्बद्ध उक्तिविषयक प्रयोगप्रकाशात्मक विशिष्ट ग्रन्थकृति, अद्यावधि अविज्ञात एवं एकमात्रप्राप्त प्राचीनादर्शाधारेण प्रथमवार प्रकाशित
-
दामोधर-विरचित ; मूलग्रन्थसंपादनकर्ता, जिनविजय मुनि ; ग्रन्थगतप्राचीनकोशलीभाषास्वरूपविवेचनकर्ता, सुनीति कुमार चाटुर्ज्या ; ग्रन्थान्तर्हितऐतिहासिक-सामाजिकस्थितिस्वरूपनिदर्शनकर्ता, मोतीचन्द्र
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1953 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 39
所蔵館5館
-
29
- Studies in Indian literary history
-
P. K. Gode ; with a foreword by Ācārya Śrī Jina Vijaya Muni
Singhi Jain Śāstra Śikshāpīth 1953 सिंघी जैन ग्रन्थमाला no. 37,
38 . Shri Bahadur Singh Singhi memoirs ; vol. 4, 5 vol. 1 , vol. 2
所蔵館6館
-
30
- सुमतिसूरिकृत तथा अज्ञातविद्वत् कर्तृक प्राकृतभाषा ग्रथित जिनदत्ताख्यान द्वय
-
संपादक, अमृतलाल मोहनलाल, भोजक
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1953 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 27
所蔵館5館
-
31
- Literary circle of Mahāmātya Vastupāla and its contribution to Sanskrit literature
-
by Bhogilal J. Sandesara
Bharatiya Vidya Bhavan 1953 1st ed सिंघी जैन ग्रन्थमाला no. 33 . Shri Bahadur Singh Singhi memoirs ; v. 3
所蔵館4館
-
32
- निर्गन्थनैमित्तिक-भद्रबाहुवचोऽनुसारिणी भद्रबाहुसंहिता : विस्तृत गुजराती प्रस्तावना, पाठभेद, परिशिष्टादि विविधवस्तुसमन्वित
-
संपादक, अमृतलाल सवचंद गोपाणी
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1949 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 26
所蔵館5館
-
33
- कोऊहल-विरइया मरहट्ठ-देसि-भासा-णिबद्धा लीलावई णाम दिव्वमाणुसी पाइय-कहा : सा च अज्ञातनामजैनविद्वद्विरचितसंसकृतवृत्ति-आंग्लप्रस्तावना-पाठान्तर-शब्दसूची-टिप्पण्यादिभिः समलंकृता
-
आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये विदुषा संपादिता
भारतीय विद्या भवन 1949 प्रथमावृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 31
所蔵館3館
-
34
- न्यायावतारवार्तिक-वृत्ति (न्यायावतारसूत्र-तद्वार्तिक-तदीयवृत्ति-समवेत-विस्तृतहिन्दीटिप्पण-अनेक परिशिष्ट-सुविस्तृत प्रस्तावना आदि बहुविषय समलंकृत)
-
श्रीशान्तिसूरिविरचित ; संपादक दलसुख मालवणिया
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्य भवन 1949 सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 20
所蔵館4館
-
35
- कथाकोषप्रकरण : प्राकृत भाषामय : स्वोपज्ञव्याख्या समवेत मूळ प्राकृत गाथाबद्ध तथा विविध कथानक संयुक्त; एवं सुविस्तृत हिन्दी प्रस्तावना, परिशिष्ट आदि समलंकृत
-
जिनेश्वरसूरिविरचित ; संपादक, जिनविजय मुनि
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1949 सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 11
所蔵館6館
-
36
- धर्मोपदेशमाला-विवरण : प्राकृत भाषामय
-
जयसिंहसूरिविरचित ; संपादक लालचन्द्र भगवान्दास गान्धी
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ ; भारतीय विद्या भवन 1949 सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 28
所蔵館6館
-
37
- नाणपंचमीकहाओ = ज्ञानपञ्चमीकथाः : प्राकृतभाषामय : विस्तृत गुजराती प्रस्तावना पाठभेद परिशिष्टादि विविधवस्तुसमन्वित
-
महेश्वरसूरिविरचित ; संपादक, अमृतलाल सवचंद गोपाणी
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1949 सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 25
所蔵館5館
-
38
- "संघपतिचरित" अपरनामक धर्माभ्युदय महाकाव्य
-
उदयप्रभसूरिरचित ; संपादक, सभाष्यविवृतिसमवेत "बृहत्कल्पसूत्र" तथा "वसुदेवहिंडी" आदि अनेक ग्रन्थ संशोधक-संपादक, चतुरविजयजी, पुण्यविजयजी
सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्या भवन 1949 1. आवृत्ति सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 4
所蔵館6館
-
39
- शतकत्रयादि-सुभाषितसंग्रहः : भर्तृहरिप्रणीतत्वेन नीति-शृङ्गार-वैराग्यादिनाम्ना समाख्यातानां सुभाषितानां सुपरिष्कृतसंग्रहः :सुविस्तृतपरिचयात्मिक्याङ्ग्लप्रस्तावना-विविधपाठान्तर-परिशिष्ठादिसमन्वितः आचार्यश्रीजिनविजयालेखिताग्रवचनालंकृतश्च
-
भर्तृहरि-विरचितः ; दामोदर कोसंबी संपादितः
भारतीय विद्या भवन, सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ 1948 1. आवृत्तिः सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 23
所蔵館1館
-
40
- Divyadr̥ṣṭikavi-Dhāhilaviracita Paumasiricariu : Apabhraṃśabhāṣāgumphita : Gūrjarabhāṣāgrathita vistr̥ta prastāvanā-granthasāra-ṭippaṇa-śabdakośādisamanvita
-
sampādaka Madhusūdana Ci. Modī, Harivallabha Cu. Bhāyāṇī
Siṅghī Jainaśāstra Śikṣāpīṭha, Bhāratīya Vidyā Bhavana 1948 Prathamāvr̥tti सिंघी जैन ग्रन्थमाला granthāṅka 24
所蔵館2館